अबे ओ '६ से ३',... कहाँ जा रहे हो? - पान टपरी के चाचा ने दूर से आवाज देते हुए मुझे रोक लिया... अब मेरा नाम है यश पर लोग मुझे "६ से ३" बुलाने लगे है.. और इस के पिछे मेरे 'काम' का हाथ है...!
लो, आप ने तो अनुमान हि लगा दिया? अरे नही यारों... मैं ना टिकिट ब्लैक करता हूं, ना ही सट्टा खेलता हूं...... ये मेरा नाम पडा है, तो मेरे काम की वजह से! मतलब नौकरी की वजह से... मैं काम करता हुं एक MNC- IT कंपनी में, स्वच्छ शुद्ध हिंदी मे बोलुं तो अपने देश में रह कर दुसरे देशों के लिये काम करना... चलो यह मुद्द अलग है, इसके उपर और एक प्रबंध लिखा जा सकता है...
मैं, विशाल जोशी, पिछले साल से मैंने इस नयी कंपनी में जॉब शुरू की.. अब ऐसी बात नही है की यह मेरी पहली कंपनी है, मैंने इससे पहले भी कई जगह काम किया है.. और अलग अलग समय पर किया है, पर कहीं भी ऐसे नामकरण की नौबत नही आयी. मेरे नाम के अलावा और उपाधी देने वाली यह पहली कंपनी होगी!!
इस कंपनी में मेरी शुरुवात ही हुई ६-३ शिफ्ट में, कंपनी है घर से २० कि. मी. दूर.. तो मुझे २. ५ घंटे आने जाने में ही लगते है...! और मेरी शिफ्ट सालभर से बदली नही है!
पुरानी कंपनी में ९ घंटे जॉब करने के बाद भी मुझे मौका मिलता था की, मैन अपनी घरग्रहस्थी, मित्रपरिवारों मे मस्ती मजाक कर सकूं... पर यहाँ पे जॉईन होने के बाद तो मुझे सोने से ही फुरसत नही मिलती... १४ घंटे आने जाने में और कंपनी के काम काज में लगते है, बचे १० घंटे मे ५-६ घंटे निंद में, १. ५ घंटा फ्रेश होने में और १/२ घंटा कॅब के इंतजार में, और बचा कुचा वक्त (२ घंटे) कैसे निकल जाते हैं पता भी नही चलता... (इसिलिये उसका स्पष्टिकरण नही दिया)
किसी दोस्त मिल गया तो पुछता है,
कहाँ हो सरकार? क्या शिफ्ट कर रहे हो?
:: --> ६ से ३
कॉल सेंटर से कॉल आती है - सर, आपको क्रेडिट कार्ड के लिये कॉल करनी थी, कब करू?
:: --> दिन में OK, पर नॉट बीट्वीन ६ से ३!
ट्रान्स्पोर्ट एक्झिक्युटिव्ह -> सर आज के लिये कॅब का प्रॉब्लेम है, शायद आप को बस से आना पडेगा- आप क शिफ्ट सेम है ना?
:: --> हां जी... बिलकुल वोही ६ से ३!!
FRIDAY NIGHT पार्टी के बुलावे पे एक सहेली का कॉल आया...
अरे कहाँ हो? आज तो FRIDAY है.. अभी तक पहुंचे नही?
:: --> तुम्हारे लिये होगा... मेरा तो आज भी है ६ से ३!
----- ६ से ३ ----- ६ से ३ ------ ६ से ३ ----- ६ से ३ ~~~!!
घर पे पेंटिंग करवानी थी तो घर मे कोई ना कोई होना चाहिये था ना... तब पापा बोले तुम दिनभर काम करो सुबह ८ से शाम ५ तक घर पे बेटा रहेगा... काँट्रॅक्टर दोस्त ने पुछा 'लेकीन आप के बेटे का ऑफिस? '
:: --> वोह होता है ६ से ३!!
सोचता हुं की अब तो जिंदगी इसी में गुजर रही है... दिन को रात और रात को दिन बनाने मे लगे है..
वक्त आजकल घडी बन के दौडता है.... लंच के वक्त पे अब ब्रेकफास्ट लिया जाता है....
गुड आफ्टरनून के बदले... गुड मॉर्निंग शुरू हुआ, और लोगो को गुड नाईट करने के वक्त पे खाना खाने का मूड हुवा...
अब तो गुरखे के साथ ही मैं, घर में आता हु.... जागते रहो कहने के बाद ही घर में जाता हूं..
कितने दिनों से दोस्तों के साथ अड्डे पे नही बैठा, दिनभर धूप और रात को शिफ्ट की वजह से चांदनी में भी नही घूमाँ..
गणपती विसर्जन मे नाचने का मौका गवाया.. और रावण दहन के वक्त भी Releases aur patches me वक्त गुजारा...
गोकुलाष्टमी पे मटकी फोडना देखा नही, पर फुटी मटकियों के दर्शन घर जाते जाते कर गया...
६ से ३ के चक्कर में दोस्ती और रिश्तेदारी मे दूरी है... पर बिना अच्छे जॉब के जिंदगी भी अधुरी है..
अच्छा पैसा अच्छी नौकरी हर कीसी को प्यारी है... फिर क्युं मैं गुस्सा करुं जब नाईट में पुरी आझादी है...
नामकरण किया लोगों ने मेरा, नया नाम मुझे मिला, काम काज मे उलझा बंदा, घरवालों को आराम मिला..
पहले रात को आराम और छुट्टीयो के लिये बाकी कामों का बहाना था.. नाईट शिफ्ट से, दिन में सभी काम निपटाकर छुट्टियाँ बचानेका भी IDEA आया...
जब सारा जहाँ सोता है... यश शिफ्ट पर होता है..
यह है मेरी कहानी... सच्ची मुच्ची -- एकदम ६ से ३ की जुबानी !!
लो, आप ने तो अनुमान हि लगा दिया? अरे नही यारों... मैं ना टिकिट ब्लैक करता हूं, ना ही सट्टा खेलता हूं...... ये मेरा नाम पडा है, तो मेरे काम की वजह से! मतलब नौकरी की वजह से... मैं काम करता हुं एक MNC- IT कंपनी में, स्वच्छ शुद्ध हिंदी मे बोलुं तो अपने देश में रह कर दुसरे देशों के लिये काम करना... चलो यह मुद्द अलग है, इसके उपर और एक प्रबंध लिखा जा सकता है...
मैं, विशाल जोशी, पिछले साल से मैंने इस नयी कंपनी में जॉब शुरू की.. अब ऐसी बात नही है की यह मेरी पहली कंपनी है, मैंने इससे पहले भी कई जगह काम किया है.. और अलग अलग समय पर किया है, पर कहीं भी ऐसे नामकरण की नौबत नही आयी. मेरे नाम के अलावा और उपाधी देने वाली यह पहली कंपनी होगी!!
इस कंपनी में मेरी शुरुवात ही हुई ६-३ शिफ्ट में, कंपनी है घर से २० कि. मी. दूर.. तो मुझे २. ५ घंटे आने जाने में ही लगते है...! और मेरी शिफ्ट सालभर से बदली नही है!
पुरानी कंपनी में ९ घंटे जॉब करने के बाद भी मुझे मौका मिलता था की, मैन अपनी घरग्रहस्थी, मित्रपरिवारों मे मस्ती मजाक कर सकूं... पर यहाँ पे जॉईन होने के बाद तो मुझे सोने से ही फुरसत नही मिलती... १४ घंटे आने जाने में और कंपनी के काम काज में लगते है, बचे १० घंटे मे ५-६ घंटे निंद में, १. ५ घंटा फ्रेश होने में और १/२ घंटा कॅब के इंतजार में, और बचा कुचा वक्त (२ घंटे) कैसे निकल जाते हैं पता भी नही चलता... (इसिलिये उसका स्पष्टिकरण नही दिया)
किसी दोस्त मिल गया तो पुछता है,
कहाँ हो सरकार? क्या शिफ्ट कर रहे हो?
:: --> ६ से ३
कॉल सेंटर से कॉल आती है - सर, आपको क्रेडिट कार्ड के लिये कॉल करनी थी, कब करू?
:: --> दिन में OK, पर नॉट बीट्वीन ६ से ३!
ट्रान्स्पोर्ट एक्झिक्युटिव्ह -> सर आज के लिये कॅब का प्रॉब्लेम है, शायद आप को बस से आना पडेगा- आप क शिफ्ट सेम है ना?
:: --> हां जी... बिलकुल वोही ६ से ३!!
FRIDAY NIGHT पार्टी के बुलावे पे एक सहेली का कॉल आया...
अरे कहाँ हो? आज तो FRIDAY है.. अभी तक पहुंचे नही?
:: --> तुम्हारे लिये होगा... मेरा तो आज भी है ६ से ३!
----- ६ से ३ ----- ६ से ३ ------ ६ से ३ ----- ६ से ३ ~~~!!
घर पे पेंटिंग करवानी थी तो घर मे कोई ना कोई होना चाहिये था ना... तब पापा बोले तुम दिनभर काम करो सुबह ८ से शाम ५ तक घर पे बेटा रहेगा... काँट्रॅक्टर दोस्त ने पुछा 'लेकीन आप के बेटे का ऑफिस? '
:: --> वोह होता है ६ से ३!!
सोचता हुं की अब तो जिंदगी इसी में गुजर रही है... दिन को रात और रात को दिन बनाने मे लगे है..
वक्त आजकल घडी बन के दौडता है.... लंच के वक्त पे अब ब्रेकफास्ट लिया जाता है....
गुड आफ्टरनून के बदले... गुड मॉर्निंग शुरू हुआ, और लोगो को गुड नाईट करने के वक्त पे खाना खाने का मूड हुवा...
अब तो गुरखे के साथ ही मैं, घर में आता हु.... जागते रहो कहने के बाद ही घर में जाता हूं..
कितने दिनों से दोस्तों के साथ अड्डे पे नही बैठा, दिनभर धूप और रात को शिफ्ट की वजह से चांदनी में भी नही घूमाँ..
गणपती विसर्जन मे नाचने का मौका गवाया.. और रावण दहन के वक्त भी Releases aur patches me वक्त गुजारा...
गोकुलाष्टमी पे मटकी फोडना देखा नही, पर फुटी मटकियों के दर्शन घर जाते जाते कर गया...
६ से ३ के चक्कर में दोस्ती और रिश्तेदारी मे दूरी है... पर बिना अच्छे जॉब के जिंदगी भी अधुरी है..
अच्छा पैसा अच्छी नौकरी हर कीसी को प्यारी है... फिर क्युं मैं गुस्सा करुं जब नाईट में पुरी आझादी है...
नामकरण किया लोगों ने मेरा, नया नाम मुझे मिला, काम काज मे उलझा बंदा, घरवालों को आराम मिला..
पहले रात को आराम और छुट्टीयो के लिये बाकी कामों का बहाना था.. नाईट शिफ्ट से, दिन में सभी काम निपटाकर छुट्टियाँ बचानेका भी IDEA आया...
जब सारा जहाँ सोता है... यश शिफ्ट पर होता है..
यह है मेरी कहानी... सच्ची मुच्ची -- एकदम ६ से ३ की जुबानी !!